भैरव वशीकरण मन्त्र प्रयोग
भैरव वशीकरण मन्त्र, भैरव वशीकरण प्रयोग, भैरव तंत्र साधना – भैरव एक ऐसा शब्द जिसे अधिकतर हर भारतीय जनता है और अगर आप नहीं जानते भैरव के बारे मे तो ये एक ऐसे देवता है जिनमे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की ही शक्ति समाहित है। इनही को आप भैरवनाथ के नाम से भी जानते है। जो भय का हरण कर इस जगत का भरण करते है। काले कुत्ते की सवारी व गहरा काला रंग, स्थूल शरीर, अंगारकाय त्रिनेत्र, काले चोगेनुमा वस्त्र, रूद्राक्ष की माला, हाथों में लोहे का भयानक दण्ड लिए भैरव का स्वरूप डराने वाला लगता है। पौराणिक कथा के अनुसार शिव के रूधिर से ही भैरव का जन्म हुआ है। फिर रूधिर के दो भाग हो गए थे – जिनमे एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव हो गया। भैरव को शिव का रुद्र अवतार माना गया है। तो वही दूसरी ओर इन्हे अन्य 7 नामों से भी जाना जाता है – क्रोधोन्मत्त भैरव, असितांग भैरव, चण्ड भैरव, रु-रु भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव जैसे शब्द भैरव को परिभाषित करते है।
अब हम आपको भैरव तंत्र साधना के बारे मे बताते है जिसको करने से आपके सभी असाध्य व सभी भयानक कष्ट दूर हो जाएंगे। मंत्र – आयाहि भगवान् रुद्रो भैरवः भैरवीपते, प्रसन्नोभव देवेश नमस्तुभ्यं कृपानिधि। इस साधना को आप किसी भी रविवार, मंगलवार या कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शुरू कर सकते है। लाल वस्त्र का परिधान आपको पहनना होता है व मंत्र जाप के लिए काली हकीक के माला ली जाती है। साधना को शुरू करने से पहले आप अपने आसन के ठीक सामने भैरव का चित्र या मूर्ति स्थापित कर ले। तेल का दीपक भी साथ जला ले व साथ मे गुग्गल, धूप-अगरबत्ती भी जला सकते है। साथ ही ध्यान जरूर रखे की पूजा के बाद अर्पित की सामग्री को पूजा-स्थल से बाहर नहीं ले जाये, बल्कि प्रसाद के रूप मे उसी समय उसका सेवन कर लेना चाहिए।
भैरव का आवाहन् करते हुए आपको बताए मंत्र का उच्चारण करना होता है और भैरवाय नमः बोलने के साथ चंदन, फूल, अक्षत, दक्षिणा, सुपारी, नवैद्य आदि के साथ धूप और दीप से आरती करे। ध्यान रहे की भैरव का आवहन् करने के बाद आप काल भैरव की उपासना करते हुए इस शाबर मंत्र का जाप भी करें। मंत्र: जय काली कंकाली महाकाली के पुत काल भैरव, हुक्म है- हाजिर रहे, मेरा कहा काज तुरंत करे, काला-भैरव किल-किल करके चली आई सवारी, इसी पल इसी घड़ी यही भगत रुके, ना रुके तो तो दुहाई काली माई की, दुहाई कामरू कामाक्षा की , गुरू गोरखनाथ बाबा की आण छु वाचापुरी!!
भैरव साधना करते वक़्त खास ध्यान ये देना होता है कि उस दिन लसुन और प्याज न खाये, किसका झूठा पानी व भोजन न ले, दिन के वक़्त नीद न ले। प्लास्टिक के वर्तन की जगह ताँबे का बर्तन का इस्तेमाल कर सकते है।
“ॐ भ्रां भ्रां भूँ भैरवाय स्वाहा। ॐ भं भं भं अमुक-मोहनाय स्वाहा।” ये भैरव का एक वो मंत्र है जिसका इस्तेमाल करके आप किसी पर भी वशीकरण कर सकते है। इस मंत्र को आप सात बार पढ़कर पीपल के पर लिखकर उसे अभिमन्त्रित करे दे फिर जिस भी इंसान पर वशीकरण करना है उसके घर मे पत्ते को फेक दे या उसके घर के पीछे गाड़ दे। वैसे आप पीपल के पत्तों की जगह क्रिया को छितवन या फुरहठ के पत्तों के माध्यम से भी कर सकते है।
इन सबके अलावा आप अपने जीवन मे आने वाली अन्य किसी समस्या से निजात पाने के लिए बटुक भैरवजी की साधना कर परिणाम हासिल कर सकते है। ।।ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।। इस मंत्र का जाप आप प्रतिदिन 11 माला 21 मंगल तक जाप करें। इस साधना के बाद अपराध-क्षमापन स्तोत्र का पाठ भी करने के अलावा श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ भी करना चाहिए। आप इस साधना को किसी भी मंगलवार को शाम 7 से 10 बजे के बीच कर सकते है। साधना करने के लिए जरूरी है की आपके पास बटुक भैरव का यंत्र हो, जिसे आप भैरवजी के चित्र के समीप लाल वस्त्र के ऊपर रखें। फिर चित्र या यंत्र के सामने हाल, फूल, थोड़े काले उड़द चढ़ाकर, पूजा के बाद लड्डू का भोग लगा दे। ऐसा करने से आपको कष्टों से छुटकारा मिलता है व बटुक भैरवजी की कृपा मिलती है।
आप भैरव तंत्र साधना के द्वारा अपने ऊपर हुए किसी भी जादू-टोटके का नाश कर सकते है। जिसके लिए आपको ये मंत्र बोलना होता है, मंत्रः ऊँ भं भैरवाय अप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय! बताए मंत्र का सात माल जाप करने से पहले ही आप आटे के तीन दीपक जलाकर कपूर से आरती करे। इसी प्रकार अगर आप किसिकी लंबी आयु के लिय दुआ कर रहे है, तो इस मंत्र का सहारा ले सकते है। मंत्र: ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रु रु स्वरूपाय स्वाहाः! पूर्व दिशा की ओर मुख करके आपको इस मंत्र का पांच माला जाप करना होता है, फिर आप गरीबों को खाना खिला दे। भैरवजी की कृपा से आपकी इच्छा पूर्ण हो जाएगी।
भारतीय संस्कृति व पौराणिक कथाओ मे बेसक भैरव को शिव के एक रुद्र रूप मे दिखाया है, पर ऊपर बताई गई तंत्र व मंत्र वैध्य मनुष्य को उसके अनेक कष्टों से निजात दिलाने की काबलियत रखती है। फिर चाहे कोई भी असाध्य रोग हो या लंबी आयु का कामना या दुश्मन से छुटकारा पाना हो, या किसी जादू-टोटके को बेअसर करना हो- आज भैरव साधना व मंत्रों का अपना एक विशेष महत्व बन चुका है।