जीवन रेखा

हथेलियों की रेखाएं बहुत कुछ कहती हैं, जिनमें सामान्यतः तीन रेखाओं को ही स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। इन्हें हृदय रेखा, जीवन रेखा और मस्तिष्क रखा के नाम से जाना जाता है। इनमें अगर भाग्य और भविष्य की झलक मिलती है, तो इसके सटीक विश्लेषण से विभिन्न क्षेत्र में सफलता सुनिश्चित की जा सकती है और जीवनशैली को बेहतर बनाया जा सकता है। यह रेखा अंगूठे के नीचे से दाईं हथेली में दाहिनी ओर और बाईं में बाएं तरफ शुक्र पर्वत को घेरे रहता है तथा यह तर्जनी के नीचे गुरु पर्वत के पास से शुरू होती है और हथेली के ठीक नीेचे मणिबंध तक जाती है।

जीवन रेखा

जीवन रेखा

हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार सर्वाधिक महत्व वाली जीवन रेखा उम्र को दर्शाती है तथा इसके छोटी-बड़ी होने, गहरी, पतली, चैड़ी व स्पष्ट दिखने या टूटी होने से व्यक्ति के उम्र और जीवन-काल में शुभ-अशुभ व रोग-निरोग का पता चलता है। इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार है, जिसपर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

  • हस्तरेखा ज्योतिष जीवन रेखा की स्थिति के आधार पर ही व्यक्ति की उम्र का आकलन करते हैं, कि उसकी आयु कितनी लंबी है या फिर छोटी। यदि जीवन रेखा पर क्राॅस का चिन्ह बना होता है, तो यह अशुभ परिणाम देने वाला होता है। जीवन रेखा का ज्योतिषीय पैमाने पर सही होने का अर्थ है अच्छी सेहत और खुशहाल जीवन-यापन। जिसकी जीवन रेखा पतली होती है वह रोगों से ग्रसित रहता है और उसके आकस्मिक मृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
  • यदि जीवन रेखा बृहस्पति के क्षेत्र से शुरु हो तब वह व्यक्ति बचपन से ही महत्वाकांक्षी होता है, किंतु उसका हृदय रेखा व शीर्ष रेखा के साथ ऊपर में जुड़े होने पर दुर्भाग्य को दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति में बौद्धिकता की कमी आ जाती है और वह कोई भी निर्णय आवेश में लेकर दूसरों के साथ-साथ अपना भी नुकसान कर बैठता है।
  • लंबी और गहरी जीवन रेखा का अर्थ अच्छा स्वास्थ्य और सहन करने की अद्म्य क्षमता है, तो जीवन रेखा के साथ दो या तीन लकीरें होने का मतलब सकारात्मक ऊर्जा और सहनशीलता की अपार क्षमता का होना हो सकता है। बीच-बीच में टूटी जीवन रेखा व्यक्ति को न केवल कड़े संर्घष, अप्रत्याशित या अनपेक्षित बदलाव, तरक्की में बाधाएं अदि से गुजरने पर मजबूर कर देता है, बल्कि असाध्य रोगों की चपेट में भी आ जाता है।
  • इस रेखा के रंगों का भी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि किसी की जीवन रखा गहरी और लाल रंग लिए हुए हो तो उसे बात-बातपर गुस्सा आता है। यदि उसके पास का मंगल पर्वत भी उभार लिए हो तब आक्रामक की स्थिति में किसी के जीवन तक से खिलवाड़ कर सकता है। पीलापन लिए हुए जीवनरेखा वाले व्यक्ति में पीलिया रोग की आशंका बनी रहती है।
  • यदि जीवन रेखा तर्जनी से लेकर मणीबंध तक बगैर टूट के स्पष्ट बनी रहे, तो वैसे व्यक्ति की उम्र 80 वर्ष तक हो सकती है। रेखा के टूटी-फूटी होने यानि बीच में ब्रेक बनने का अर्थ उसकी अकाला मृत्यु हो सकती है, या फिर काफी कम उम्र में किसी रोग की वजह से मौत के मुंह में समा सकता है।
  • जिस किसी व्यक्ति की जीवन रेखा अंत में दो भागों में बंटी हो तथा एक भाग चंद्र पर्वत और दूसरी शुक्र पर्वत पर चली गई हो तो वह परदेश में जा बसता है। इसके विभाजित नहीं होने की स्थिति में यदि वह शुक्र पर्वत तक चला जाए तो वह व्यक्ति हमेशा दूसरे देश में ही बस जाता है।
  • जंजीरनुमा जीवन रेखा अच्छा नहीं माना जाता है। वह हमेशा अस्वस्थ रह सकता है। उसमें बहुत जल्द थकान आ जाती है और सामान्य परिश्रम से भी बचने की कोशिश करता है। दूसरी तरफ यदि जीवन रेखा के शुरूआत जंजीरनुमा हाने की स्थिति में व्यक्ति उतावलेपन का शिकार रहता है और संकुचित मानसिकता का वाला होता है। अधिकतर काम में असफलता मिलती है।
  • जीवन रेखा से निकलती रेखाएं व्यक्ति के अधिकार में बढ़ोत्तरी, आर्थिक स्थिति में उन्नति और जीवन में कर्मपथ पर सफलता का परिचायक है।
  • यदि जीवन रेखा पर कोई छोटा सा वर्ग बना हो तो यह अत्यंत ही शुभ माना जाता है। व्यक्ति के मन में सुरक्षा और आत्मविश्वास के भाव बने रहते हैं तथा उसके द्वारा किया गया कार्य सकारत्क नतीजे देने वाला साबित होता है।
  • यदि किसी स्त्री की हथेली में कोई रेखा मंगल पर्वत से होती हुई जीवन रेखा को काटे या स्पर्श करे तो वह अनैतिक संबंध बना सकती है, जिससे वह संकट में घिर सकती है। इसके अतिरिक्त जीवन रेखा के भीतर छोटी-छोटी समानांतर रेखाएं बनी हों तो उसका जीवन साथी सरल स्वभाव का होता है।
  • यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच थोड़ा अंतर होने की स्थिति में व्यक्ति आजाद ख्याल का होता है। उसके बारे में यह कहा जा सकता है कि वह बगैर सोचे-विचारे काम करता है। दोनों रेखाएं एक ही स्थान से निकलती हैं।
  • यदि जीवन रेखा से किसी शाखा के गुरु पर्वत तक, जो तर्जनी के नीचे के हिस्से में स्थित होता है, से जा मिले तो वह व्यक्ति करोबार में तरक्की होने की संभावना बन जाती है।
  • जीवन रेखा की किसी शाखा के मध्य अंगुली के नीचे वाले शनि पर्वत को काटती है और भाग्य रेखा के साथ जाती हुई प्रतीत होती है तो वह व्यक्ति धनवान और सुख-सुविधाओं से संपन्न होता है।

जीवन रेखा का सेहत से संबंधः जीवन रेखा का स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। इस संबंध में कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैंः-

  • बातें उससे निकलने वाली लकीरें नीचे की ओर गिरे होने पर उस व्यक्ति में हड््डी रोग हो सकता है।
  • जीवन रेखा के शनि पर्वत पर बने जाली तक जाने की स्थिति में पित्त संबंधी रोग हो सकते हैं, या फिर उसपर गोल या धब्ब बनने से नेत्र रोग या दृष्टि दोष की शिकायत रह सकती है। उसपर द्वीप बने होने के कारण आंख का आॅपरेशन हो सकता है।
  • जीवन रेखा पर द्वीप के साथ आड़ी-तिरछी रेखाएं बनी होने की स्थिति में मानसिक अशांति बढ़ सकती है और व्यक्ति मनारोग का शिकार हो सकता है।
  • जीवन रेखा पर सफेद बिंदू होने से मोतियाबिंद या इससे मिलती-जुलती दूसरी बीमारी हो सकती है।
  • जीवन रेखा द्वारा स्वास्थ्य रेखा को काटने की स्थिति में पाचन संबंधी रोग हो सकते हैं।
  • जीवन रेखा के मस्तिष्क रेखा तक जाने की स्थति में व्यक्ति मस्तिष्क ज्वर का शिकार हो सकता है।